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गोरखाओं ने अलग राज्य के लिए आवाज बुलंद की

गोरखाओं ने अलग राज्य के लिए आवाज बुलंद की

राजेश शर्मा, कालिमन्युज, देहरादुन: गोरखाओं के लिए अलग राज्य बनाने की हिमायत की। कहा गया कि पश्चिम बंगाल में गोरखाओं से शिक्षा समेत हर क्षेत्र में भेदभाव किया जा रहा है, जिसके कारण अलग राज्य जरूरी हो गया है। फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने अलग राज्य के लिए कारण भी गिनाए।
दार्जिलिंग के विधायक हरक बहादुर क्षेत्री ने कहा कि दार्जिलिंग कभी भी पश्चिम बंगाल का हिस्सा नहीं रहा। पश्चिम बंगाल सरकार निजी हितों के चलते दार्जिलिंग को अपने कब्जे में रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि अलग गोरखालैंड की मांग बहुत पुरानी है। ब्रिटिश सरकार के समय वर्ष 1907 में दार्जिलिंग के लिए अलग प्रशासनिक ढांचा बनाने की मांग हुई थी। समय-समय पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने इस मांग को उठाया, जो बाद में अलग राज्य की मांग में बदली। दार्जिलिंग और इसके आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने यह महसूस किया गया है कि पश्चिम बंगाल के अधीन रहकर उनका विकास नहीं हो सकता क्योंकि सरकार हमेशा उनकी उपेक्षा करती रही है। कभी भी उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास नहीं किया गया। सरकार ने सिर्फ निजी स्वार्थो को साधने की कोशिश की। 
उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग में इन दिनों अलग राज्य के लिए आंदोलन चल रहा है और अब यह मुद्दा सेमिनारों के जरिए देश भर में उठाया जाएगा। इस मौके पर मसूरी विधायक गणोश जोशी, स्वराज थापा, पी. अजरुन, भूपेंद्र सिंह क्षेत्री, कर्नल वीके शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।

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